✊ निशा को इंसाफ दिलाने की गूंज: बसंतराय की सड़कों से उठी न्याय की जंग ✊
लेखक: विशेष संवाददाता
झारखंड के गोड्डा जिले के महागामा अनुमंडल क्षेत्र का अमूर गाँव इन दिनों पूरे इलाके का केंद्र बना हुआ है। गाँव की बेटी निशा की रहस्यमय मौत ने न केवल परिवार बल्कि पूरे समाज को झकझोर दिया है। पिता ने इसे हत्या करार दिया और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग तेज हो गई।
इस बीच, बसंतराय की सड़कों पर सैकड़ों छात्र-छात्राएँ कैंडल मार्च निकालकर न्याय की आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। यह आंदोलन अब सिर्फ एक गाँव या कस्बे की लड़ाई नहीं रह गया है, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए “न्याय बनाम अन्याय” की पहचान बन चुका है।
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🔹 घटना का पृष्ठभूमि
कुछ ही दिन पहले, कस्बा गाँव स्थित एक मदरसे में अमनूर की लाश फांसी पर लटकी हुई पाई गई। यह खबर पूरे इलाके में आग की तरह फैल गई।
मृतका के पिता ने साफ कहा कि उनकी बेटी ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उसकी हत्या की गई है।
उन्होंने स्थानीय पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाने और दोषियों को बचाने का भी आरोप लगाया।
परिजनों और ग्रामीणों ने इस घटना को साजिशन हत्या बताते हुए न्याय की लड़ाई शुरू की।
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🔹 छात्रों का गुस्सा और कैंडल मार्च
बसंतराय में आज जो दृश्य देखने को मिला, उसने सबको झकझोर दिया।
सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएँ हाथों में तख्तियाँ और मोमबत्तियाँ लिए सड़कों पर उतरे।
उन्होंने “निशा को इंसाफ दो”, “हमारी बहन को न्याय चाहिए” और “दोषियों को फांसी दो” जैसे नारे लगाए।
छात्र संगठनों का कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह आंदोलन और उग्र होगा।
🔥 एक छात्र ने कहा:
> “आज अगर निशा के लिए इंसाफ नहीं मिला तो कल किसी और बेटी के साथ भी यही हो सकता है। यह लड़ाई हमारी बहन के सम्मान और पूरे समाज की सुरक्षा की है।”
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🔹 कैंडल मार्च का महत्व
🕯️ शाम ढलते ही पूरा बसंतराय कैंडल की रोशनी से जगमगा उठा।
छात्रों ने शांतिपूर्ण तरीके से जुलूस निकाला और प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की।
इस दौरान महिलाओं और बच्चों ने भी बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।
कैंडल मार्च एक प्रतीक था— “अंधेरे में डूबे न्याय को रोशनी दिखाने का प्रयास।”
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🔹 ग्रामीणों की भावनाएँ
गाँव और आसपास के इलाकों के लोग गुस्से और दर्द में हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि इस घटना ने पूरे समाज की आत्मा को झकझोर दिया है।
एक स्थानीय महिला ने कहा:
> “हम अपनी बेटियों को पढ़ने भेजते हैं, सुरक्षित मानते हैं। लेकिन जब ऐसी घटनाएँ होती हैं, तो विश्वास टूट जाता है। सरकार को तुरंत दोषियों को पकड़ना चाहिए।”
🔹 प्रशासन की भूमिका और सवाल
हालांकि पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन ग्रामीणों और छात्रों का आरोप है कि जांच धीमी है और दोषियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।
अभी तक स्पष्ट नहीं है कि गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई।
प्रशासन के ऊपर भरोसे का संकट गहराता जा रहा है।
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🔹 आंदोलन का फैलाव
अब यह आंदोलन केवल बसंतराय तक सीमित नहीं रहा।
गोड्डा, महागामा, पोड़ैयाहाट और अन्य क्षेत्रों में भी लोग इसका समर्थन कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर #JusticeForNisha ट्रेंड करने लगा है।
छात्र संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता इसे जनांदोलन का रूप देने की तैयारी कर रहे हैं।
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🔹 राजनीति और न्याय की लड़ाई
इस घटना ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है।
विपक्षी दल सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर हमला बोल रहे हैं।
ruling पार्टी पर आरोप लगाया जा रहा है कि वह दोषियों को बचा रही है।
राजनीतिक बयानबाज़ी से माहौल और गर्म हो गया है।
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🔹 सामाजिक संदेश
यह आंदोलन सिर्फ एक केस तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज को बड़ा संदेश दे रहा है:
बेटियों की सुरक्षा हर परिवार की प्राथमिकता है।
अगर समाज एकजुट होकर आवाज उठाए, तो कोई भी अन्याय दबाया नहीं जा सकता।
छात्रों ने यह साबित किया है कि न्याय की लड़ाई में युवा सबसे बड़ी ताकत हैं।
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🔹 आगे की राह
छात्रों ने साफ कहा है कि जब तक दोषियों को कड़ी सज़ा नहीं मिलेगी, आंदोलन जारी रहेगा।
ग्रामीणों का इरादा है कि वे जिला मुख्यालय तक मार्च करेंगे।
सोशल मीडिया और ग्राउंड लेवल दोनों जगह यह आवाज लगातार बुलंद हो रही है।
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निशा की मौत केवल एक परिवार का दुख नहीं, बल्कि पूरे समाज का घाव है।
बसंतराय की सड़कों पर छात्रों का कैंडल मार्च यह साबित करता है कि लोग अब चुप नहीं बैठेंगे।
🕯️ इंसाफ की लड़ाई लंबी है, लेकिन कैंडल की रोशनी से यह उम्मीद ज़रूर जगती है कि—
“अंधकार चाहे जितना भी गहरा हो, न्याय की लौ कभी बुझती नहीं।”
कस्बा मदरसा के पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए बसंतराय में हजारों की संख्या में रोड पर उतरे कैंडल मार्च को लेकर #followerseveryonehighlights #viralreelsシ #jlkmjharkhand #गोड्डा #follower #babulal #jharkhand #StarsEverywhere #BreakingNews #hemant
Posted by Avatar news on Thursday, September 4, 2025
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