झारखंड में बेमौसम बारिश से किसानों पर टूटा कहर — चक्रवाती तूफान ‘मंथा’ ने मचाई तबाही, गोड्डा में सबसे ज्यादा फसल बर्बाद..!
झारखंड के लगभग सभी जिलों में इस बार बेमौसम बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर भारी चोट की है। चक्रवाती तूफान मंथा के प्रभाव से अचानक हुई लगातार वर्षा ने धान की खड़ी फसलों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। खेतों में लहलहाती बालियाँ अब पानी में डूबी पड़ी हैं, और कई जगहों पर पौधे सड़ने लगे हैं। इस प्राकृतिक आपदा ने किसानों की वर्षभर की मेहनत और उम्मीद को एक झटके में मिट्टी में मिला दिया है।
राज्य के लगभग हर जिले में किसानों का एक ही दर्द है — "अब हम क्या करें?" गिरिडीह, दुमका, पाकुड़, साहिबगंज, देवघर, जामताड़ा, बोकारो, चतरा, लोहरदगा, सिमडेगा, गढ़वा, पलामू से लेकर गोड्डा तक बारिश ने तबाही मचाई है। लेकिन गोड्डा जिला इस तबाही का सबसे बड़ा शिकार बना है। यहां के सैकड़ों गांवों में धान की फसल पूरी तरह चौपट हो चुकी है। किसान बताते हैं कि उन्होंने इस वर्ष कुएं और तालाबों से पानी निकालकर किसी तरह खेतों में बुआई की थी, क्योंकि समय पर मानसून नहीं आया था। फिर भी उम्मीद थी कि मेहनत रंग लाएगी — मगर बेमौसम बारिश ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया।
कई किसानों ने बताया कि इस बार फसल तैयार होने में बहुत मेहनत लगी और शुरुआती दिन में सिंचाई के लिए बहुत खर्चा हुआ। अब फसल पूरी तरह खराब हो चुकी है और बाजार-बचत दोनों को भारी नुकसान हुआ है। खेतों में बिखरी हुई बालियाँ, जमी हुई मिट्टी और टूटती उम्मीदें — ये तस्वीरें हर गांव में समान रूप से देखी जा सकती हैं।
बीमा का सवाल — क्या मिलेगा समय पर मुआवजा?
अधिकांश प्रभावित किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं बिरसा कृषि बीमा योजना के तहत अपनी फसलें बीमित करवाई हुई थीं। बावजूद इसके पिछले अनुभव बताते हैं कि बीमा दावा या तो बहुत देर से मिलता है या आवश्यक रकम का वितरण समय पर नहीं हो पाता। इस बार नुकसान का स्तर इतना व्यापक है कि बीमा कंपनियों और प्रशासन को त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।
किसानों का कहना है कि प्रशासन को तुरंत सभी प्रखंडों में सर्वे करवाना चाहिए, खेतों का जायजा लेकर फसल क्षति का आकलन करना चाहिए और बीमा कंपनियों को त्वरित मुआवजा वितरण का आदेश देना चाहिए। अगर यह नहीं हुआ, तो आने वाले रबी सीजन में खेती पूरी तरह ठप हो सकती है, और हजारों किसान आर्थिक संकट में फंस जाएंगे।
बारिश ने इस बार सिर्फ खेत नहीं बहाए — इसने किसानों की उम्मीदें, उनके बच्चों की शिक्षा, घर का चूल्हा और भविष्य की योजनाएं सब कुछ अपने साथ बहा लिया है। अब यह सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह इन मेहनतकश किसानों के साथ खड़ा हो और उन्हें उनके हक का मुआवजा दिलाए।
किसानों का दर्द अब सिर्फ खेतों में नहीं, बल्कि उनकी आंखों में साफ झलक रहा है।
अवतार न्यूज़ — झारखंड की धरती से किसानों की आवाज़
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