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नवरात्रि की सप्तमी पर धूमधाम से हुई बेलभरनी पूजा, मां का पट खुलते ही उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

नवरात्रि की सप्तमी के अवसर पर बसंतराय स्थित वैष्णवी दुर्गा मंदिर परिसर में परंपरागत बेलभरनी पूजा धूमधाम से संपन्न हुई। सुबह पूजा समिति द्वारा ऐतिहासिक तालाब की परिक्रमा करते हुए श्रद्धालु बेल वृक्ष तक पहुँचे और विधिविधान से पूजा-अर्चना की।
पूजा-अर्चना के दौरान हजारों की संख्या में स्थानीय श्रद्धालु उपस्थित रहे। पूरे माहौल में ढोल-नगाड़ों की थाप और “जय मां दुर्गे” के जयकारे गूंजते रहे। पूजा-अर्चना के बाद मां का पट खोला गया, जिसके दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
बेल भरनी पूजा का महत्व
यह पूजा ननद-भौजाई के पवित्र मिलन और पारिवारिक रिश्तों के मजबूत बंधन का प्रतीक मानी जाती है। मान्यता है कि गांव की रक्षा के लिए मां दुर्गा बेटी के रूप में बेल वृक्ष पर वास करती हैं, जबकि शारदीय नवरात्रि में वे बहू के रूप में आती हैं। बेलभरनी पूजा के माध्यम से ननद और भौजाई का मिलन होता है।
पंडित अशोक कुमार ने बताया कि नवरात्रि में बेल पूजन का विशेष महत्व है। बेल भरनी माता का निर्माण बेल, धान की बाली, अनार और केले के पत्तों से किया जाता है। इनके सामने शुद्ध घी का दीपक जलाने से घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
बेलभरनी पूजा में बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया और पूजा समिति के दर्जनों सदस्य उपस्थित रहे। परंपरा और आस्था का यह अनूठा संगम बसंतराय क्षेत्र में नवरात्र की भव्यता को और विशेष बना गया।
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