गोपीचक आंगनबाड़ी बहाली में अनियमितता : बिना निवास प्रमाण पत्र के उम्मीदवार का चयन, ग्रामीणों ने उठाए सवाल



बसंतराय प्रखंड के गोपीचक आंगनबाड़ी केंद्र में बहाली को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। शिकायत है कि कैंडिडेट खुशबू खातून का चयन किया गया जबकि चयन के समय उनके पास निवास प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं था।
दूसरी ओर, सेकेंड ऑर्डर उम्मीदवार अंगूरी खातून जिन्होंने बहाली प्रक्रिया में 21 अंक प्राप्त किए थे, ने आपत्ति दर्ज कराई है। अंगूरी का कहना है कि चयन के समय उम्मीदवार के पास निवास प्रमाण पत्र न होते हुए भी प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) ने चयन कर दिया और कहा गया कि कैंडिडेट एक-दो दिन में दस्तावेज जमा कर देगी।
जानकारी के अनुसार, खुशबू खातून को चयन प्रक्रिया में 25 अंक दिए गए। BDO का तर्क है कि "प्राकृतिक न्याय का अवसर" प्रदान करने के चलते कैंडिडेट को एक दिन की मोहलत दी गई और बाद में उन्होंने निवास प्रमाण पत्र ऑनलाइन अपलोड करा दिया।
ग्रामीणों और आवेदकों का कहना है कि यह निर्णय पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्न चिन्ह लगाता है — क्या ऑनलाइन अपलोड किए गए दस्तावेज़ को उसी क्षण वैध मान लिया जाना चाहिए?
आवेदकों ने उठाए कई तर्क — आवेदन अपना निवास प्रमाण पत्र आवेदन किया है लेकिन अभी तक बना नहीं है निवास प्रमाण पत्र की सत्यापन प्रक्रिया में विभिन्न दस्तावेजों की जांच और पुष्टि आवश्यक होती है, और सत्यापन के दौरान आवेदन निरस्त भी हो सकता है। ऐसे में प्रखंड विकास पदाधिकारी यह कैसे मान सकते हैं कि प्रमाण पत्र अभी बन ही जाएगा?
BDO ने कहा कि नियमों के तहत किसी भी उम्मीदवार को प्राकृतिक न्याय का अवसर देना अवश्यक है, इसलिए मोहलत दी गई ताकि प्रक्रिया बाधित न हो। आवेदक अपना निवास प्रमाण पत्र का आवेदन कर दिया है लेकिन अभी तक निर्गत नहीं किया है उन्होंने आश्वासन दिया कि निर्वहन प्रक्रिया नियमानुसार पूरी की जाएगी।
ग्रामीणों ने कहा कि यहां पहले कभी इस प्रकार की मोहलत या छूट नहीं दी गई; उन्होंने आरोप लगाया कि चयन प्रक्रिया में धांधली और मिलीभगत की आशंका है और BDO की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं।
एक ग्रामीण ने कहा: "बहुत सारे समाज ऐसे व्यक्ति होगा जिसका निवास प्रमाण पत्र के चलते भर्ती से निरस्त कर दिया जाता था, लेकिन अब बसंतराय में मोहलत देकर लोगों को फायदा पहुंचाया जा रहा है — यह आम आदमी के साथ हठ्य है।"
स्थानीय लोगों ने उच्च अधिकारियों से इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है और कहा कि आंगनबाड़ी बहाली प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाया जाना चाहिए ताकि योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय न हो।
यह विवाद अब सिर्फ चयन की खामियों तक सीमित नहीं रहा — बल्कि प्रशासनिक कार्यप्रणाली और भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल बनकर सामने आया है।
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