दिल्ली निजी संस्थान में छात्राओं से यौन उत्पीड़न: चेतन्यानन्द सरस्वती गिरफ्तार
नई दिल्ली / आगरा: दिल्ली के एक प्रतिष्ठित निजी संस्थान में सत्रा छात्राओं से यौन उत्पीड़न के आरोप में आरोपी स्वंयभू बाबा चेतन्यानन्द सरस्वती को 28 सितंबर को तड़के सुबह 3.30 बजे आगरा से गिरफ्तार किया गया।

पुलिस ने चेतन्यानन्द के कब्जे से तीन मोबाइल फोन, एक आईपैड और फर्जी विजिटिंग कार्ड बरामद किए। फोन में छात्रावास के CCTV फुटेज पाए गए थे। फर्जी कार्ड में उसने खुद को संयुक्त राष्ट्र और BRICS का सदस्य बताया था। पुलिस ने उसकी कार भी जब्त की, जिस पर फर्जी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी थी।
चेतन्यानन्द सरस्वती ने गिरफ्तारी से बचने के लिए उत्तर प्रदेश के धार्मिक शहरों ब्रिंदावन और मथुरा में छिपकर रहना शुरू किया था और लगातार ठिकाने बदल रहा था।
2016 में उसके खिलाफ पहली प्राथमिकी दर्ज हुई थी। उस समय पीड़िता की उम्र 20-21 साल थी। शिकायत में कहा गया कि वह रात में कॉल करके आपत्तिजनक बातें करता और उसे "बेबी" या "स्वीट गर्ल" कहकर बुलाता था। 2016 में कार्रवाई न होने के कारण आज और अधिक छात्राओं को इसका शिकार होना पड़ा।
पुलिस ने अब तक 32 छात्राओं से पूछताछ की है। 17 छात्राओं ने गंभीर आरोप लगाए जैसे आशिर्वाद के बहाने छूना, देर रात कमरे में बुलाना, कम अंक देने या दस्तावेज न देने की धमकी, अशोभनीय भाषा, और विदेश यात्रा का लालच देकर फंसाना। कुछ छात्राओं के अनुसार उसने बाथरूम में कैमरे भी लगाए थे।
“मेरे कमरे में आओ, मैं तुम्हें विदेश ले जाऊँगा। लेकिन मेरी बात नहीं मानी तो परीक्षा में फेल कर दूँगा।”
चेतन्यानन्द ने संस्थान को करोड़ों रुपये का चूना लगाया और प्राथमिकी दर्ज होने के बाद बैंक खाते से लगभग 55 लाख रुपये निकाल लिए। जाली पासपोर्ट बनाने और 8 करोड़ रुपये से जुड़े बैंक खाते की राशि फ्रीज करने का भी आरोप है।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने मामले को स्वत: संज्ञान में लिया। पुलिस ने अदालत से आरोपी की पांच दिन की हिरासत मांगी, जो मंजूर हो गई। अब जांच में यह पता लगाया जाएगा कि कौन-कौन लोग इस पूरे जाल में शामिल थे और आरोपी ने छात्राओं को किन जगहों पर घुमाया।
दिल्ली पुलिस और राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से चेतन्यानन्द सरस्वती के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई शुरू हो चुकी है। अब जांच के दौरान यह पता लगाया जाएगा कि कौन-कौन लोग इस पूरे जाल में शामिल थे। चेतन्यानन्द की गिरफ्तारी से यह संदेश जाता है कि यौन उत्पीड़न और धोखाधड़ी के मामले में कोई भी बच नहीं सकता, और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कानून पूरी तरह सजग है।
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