अतिवृष्टि से फसलों के नुकसान पर मिलेगा 17 हजार प्रति हेक्टेयर तक मुआवजा

 अतिवृष्टि से फसलों के नुकसान पर मिलेगा 17 हजार प्रति हेक्टेयर तक मुआवजा


झारखण्ड राँची: राज्य में हुई अतिवृष्टि के कारण खरीफ फसलों को हुए नुकसान के आकलन के लिए कृषि विभाग का अभियान जारी है। जिलों से प्राप्त विवरण के अनुसार अब तक राज्य के 33 जिलों में 2.18 लाख हेक्टेयर में फसल खराब हो चुकी है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार नुकसान की पुष्टि होने पर प्रभावित किसानों को अधिकतम 17 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर तक मुआवजा मिलेगा।

राज्य में खरीफ की फसल का विवरण:

फसल
लक्ष्य (हे.)
अब तक बुवाई (%)
कमी (%)
धान
18 लाख हेक्टेयर
90 प्रतिशत
10 प्रतिशत
कोदो
3.10 लाख हेक्टेयर
64 प्रतिशत
36 प्रतिशत
अरहर
1.10 लाख हेक्टेयर
42 प्रतिशत
58 प्रतिशत
तिल
60 हजार हेक्टेयर
36 प्रतिशत
64 प्रतिशत
मूंगफली
70 हजार हेक्टेयर
46 प्रतिशत
54 प्रतिशत

राज्य में अब तक 240 प्रतिशत, सरगुजा में 196 प्रतिशत, बालोद में 177 प्रतिशत बारिश रिकॉर्ड की गई है। इसी तरह कवर्धा में 763 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। यह सामान्य से 31 प्रतिशत अधिक है।

50 प्रतिशत से कम खेती:

अतिवृष्टि-जलभराव की वजह से कई स्थानों पर बोवानी ही नहीं हो पाई है। प्रदेश में कोदो-तिलहन की बोवानी सबसे कम हुई है। तिल की केवल 36 प्रतिशत बोवानी हो पाई है। मूंगफली की 54 प्रतिशत बोवानी हो सकी है।



प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की शुरुआत भारत सरकार ने 18 फरवरी 2016 को की थी, जिसका उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक आपदा, कीट या रोग के कारण फसलों को होने वाले नुकसान से आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।

🔑 योजना के मुख्य बिंदु:

  1. बीमा प्रीमियम:

    • किसानों को नाममात्र प्रीमियम देना होता है:

      • खरीफ फसलों के लिए: 2%

      • रबी फसलों के लिए: 1.5%

      • वाणिज्यिक/बागवानी फसलों के लिए: 5%

    • कई राज्यों में राज्य सरकारें सब्सिडी देकर किसानों से केवल ₹1 प्रीमियम लेती हैं।

  2. कवरेज (बीमा सुरक्षा):

    • सूखा, बाढ़, अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, तूफान, कीट, रोग आदि से फसल को नुकसान होने पर बीमा की राशि मिलती है।

    • बोवाई से लेकर कटाई और भंडारण तक फसल की सुरक्षा होती है।

  3. लाभार्थी:

    • सभी किसान (स्वैच्छिक) – चाहे उन्होंने कृषि ऋण लिया हो या नहीं।

    • भूमिधारी और पट्टेदार दोनों किसान पात्र हैं।

  4. क्लेम प्रक्रिया:

    • नुकसान की स्थिति में सरकार द्वारा सर्वे कराया जाता है।

    • क्लेम की राशि सीधे किसान के बैंक खाते में ट्रांसफर होती है।

  5. टेक्नोलॉजी का उपयोग:

    • रिमोट सेंसिंग, ड्रोन, स्मार्टफोन ऐप के ज़रिये फसल का सर्वेक्षण किया जाता है।


✅ ₹1 में बीमा कैसे संभव हुआ?

कुछ राज्य सरकारें किसानों को राहत देने के लिए बीमा की पूरी या लगभग पूरी प्रीमियम राशि खुद वहन करती हैं, और किसानों से केवल ₹1 या नाममात्र शुल्क लेती हैं। इससे:

  • किसान पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ता

  • सभी किसान योजना में शामिल हो पाते हैं

  • आपदा की स्थिति में उन्हें बड़ा मुआवज़ा मिल सकता है


🧾 उदाहरण:

  • छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, और राजस्थान, झारखण्ड जैसे राज्यों में सरकारों ने पिछले वर्षों में ₹1 में फसल बीमा की सुविधा दी है।

  • किसानों को 17,000 रुपये तक का मुआवजा भी मिला है (जैसा कि आपने पहले वाली न्यूज कटिंग में दिखाया था)।


📲 आवेदन कैसे करें?

  1. नजदीकी CSC (कॉमन सर्विस सेंटर) पर जाएं

  2. बैंक या कृषि विभाग से संपर्क करें

  3. PMFBY की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करें: https://pmfby.gov.in



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