" तेज रफ्तार मैजिक गाड़ी की टक्कर से रानी देवी और नित्यानंद दास की मौके पर और रास्ते में मौत, गांव में छाया मातम, पुलिस फरार वाहन की तलाश में जुटी "
| यह फोटो AI द्वारा बनाया गया है |
गोड्डा जिले के पथरगामा क्षेत्र में NH 133 पर एक ऐसा सड़क हादसा हुआ जिसने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया। ग्राम चौरा के नित्यानंद दास और उनकी पत्नी रानी देवी अपनी मोटरसाइकिल पर कहीं जा रहे थे। तभी तेज रफ्तार से आ रही एक अज्ञात मैजिक गाड़ी ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भयानक थी कि रानी देवी ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया, जबकि नित्यानंद दास अस्पताल ले जाते समय जिंदगी की जंग हार गए। यह हादसा मात्र एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक परिवार की पूरी दुनिया उजाड़ देने वाली त्रासदी बन गया।
इस दुर्घटना ने दो मासूम बच्चों और एक बेटी का सहारा छीन लिया। धर्मेंद्र कुमार दास, सविता कुमारी और रविंद्र कुमार आज अनाथ हो गए हैं। उनकी मासूम आँखों में भय और असहायता की झलक साफ दिखाई देती है। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि अचानक उनके जीवन में इतनी बड़ी विपत्ति कैसे आ गई। गांव के लोगों ने बताया कि ये बच्चे अब लगातार अपने माता-पिता को याद कर रोते रहते हैं। पूरे गांव में मातम छा गया है और हर किसी की आँखें नम हैं। लोग इस त्रासदी से आहत हैं और बच्चों की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं।
अस्पताल में जब शवों को देखा गया तो मृतकों की माँ का दर्द देखकर हर किसी की आँखें भर आईं। वह फफक-फफक कर रो पड़ीं और बार-बार भगवान से यही सवाल कर रही थीं कि “मेरे बेटे को क्यों छीन लिया? पहले बहू चली गई, अब बेटा भी चला गया... इन बच्चों का सहारा कौन बनेगा?” उनके ये शब्द सुनकर अस्पताल में मौजूद हर व्यक्ति की आँखें नम हो गईं। गांव में खबर फैलते ही लोग मदद के लिए जुटने लगे और हर कोई बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित दिखाई दिया। हर घर में यही चर्चा थी कि इतनी बड़ी विपत्ति किसी पर न आए।
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| यह फोटो AI द्वारा बनाया गया है |
हादसे की खबर मिलते ही पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। दुर्घटना स्थल का निरीक्षण कर आसपास के लोगों से जानकारी ली गई। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि एक अज्ञात मैजिक गाड़ी तेज रफ्तार में थी और उसने मोटरसाइकिल को टक्कर मारी। टक्कर के बाद वाहन चालक मौके से फरार हो गया। पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू कर दी है ताकि वाहन की पहचान की जा सके। साथ ही प्रत्यक्षदर्शियों के बयान लिए जा रहे हैं। पुलिस का कहना है कि हर पहलू की गंभीरता से जांच की जा रही है और दोषियों को पकड़कर कानून के सामने लाया जाएगा।
घटना के बाद गांव में शोक का माहौल छा गया है। ग्राम चौरा के हर घर में सन्नाटा पसरा है। कोई भी व्यक्ति उस दर्द को शब्दों में बयान नहीं कर पा रहा। गांव वाले बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। कई लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं और बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी साझा करने की बात कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन से भी उम्मीद की जा रही है कि बच्चों की देखरेख, शिक्षा और सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी।
धर्मेंद्र, सविता और रविंद्र अभी भी इस हादसे के सदमे से बाहर नहीं निकल पाए हैं। बड़े बेटे धर्मेंद्र की उम्र लगभग दस साल बताई जा रही है। वह बार-बार अपने माता-पिता की तस्वीरें देखता है और रो पड़ता है। छोटी बेटी सविता और छोटा बेटा रविंद्र भी लगातार असहाय होकर माँ-बाप को पुकारते रहते हैं। गांव के लोगों का कहना है कि बच्चों के मन पर गहरा असर पड़ा है। उन्हें मानसिक और भावनात्मक सहयोग की आवश्यकता है।
गांव चौरा में आज भी वही मातम पसरा हुआ है जो हादसे की खबर मिलते ही छा गया था। हर कोई बच्चों की मदद के लिए आगे आ रहा है। पड़ोसी, रिश्तेदार, दोस्त – सभी ने मिलकर बच्चों की देखरेख का प्रयास शुरू किया है। कोई भोजन की व्यवस्था कर रहा है तो कोई उनके स्कूल जाने की चिंता में लगा है। कई सामाजिक संगठन और स्थानीय लोग प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि इन मासूम बच्चों के लिए विशेष सहायता उपलब्ध कराई जाए। साथ ही ग्रामीणों ने यह भी तय किया है कि वे बच्चों को अकेला महसूस नहीं होने देंगे और उनका साथ देंगे।
इस हादसे ने गांव को एक बार फिर यह एहसास कराया है कि सड़क सुरक्षा कितनी जरूरी है। तेज रफ्तार और लापरवाही ने एक परिवार की खुशियाँ छीन लीं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर सड़क पर यातायात नियमों का पालन होता, गति सीमा का ध्यान रखा जाता और वाहन चालकों की जांच होती तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था। अब हर कोई प्रशासन से अपील कर रहा है कि ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए कड़े कदम उठाए जाएँ और जिम्मेदार वाहन चालकों पर सख्त कार्रवाई हो।
स्थानीय प्रशासन ने भी आश्वासन दिया है कि बच्चों की हर संभव मदद की जाएगी। वहीं पुलिस की टीम लगातार मैजिक वाहन की तलाश कर रही है। आसपास के गांवों, टोल प्लाजा और अन्य चौराहों पर भी वाहन की पहचान के लिए जानकारी साझा की गई है। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि अगर किसी को संदिग्ध वाहन दिखाई दे तो तत्काल जानकारी दें ताकि दोषियों तक जल्द पहुँचा जा सके।
यह हादसा सिर्फ सड़क पर हुआ एक सामान्य घटना नहीं है। यह पूरे गांव के दिल पर चोट करने वाली त्रासदी है। नित्यानंद दास और रानी देवी अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके पीछे छूट गए तीन मासूम बच्चों के सवाल आज भी गूंज रहे हैं। धर्मेंद्र, सविता और रविंद्र अपने माता-पिता की तस्वीरों को देख-देखकर रोते हैं। उन्हें समझ नहीं आता कि उनके साथ ऐसा क्यों हुआ। उनके लिए अब हर दिन एक नई चुनौती बन गया है – भूख, पढ़ाई, सुरक्षा और मानसिक सहारा सब कुछ अब अनिश्चित है।
गांव के लोग बच्चों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। कई परिवारों ने तय किया है कि बारी-बारी से उनका ध्यान रखेंगे। वहीं सामाजिक संस्थाएँ बच्चों के पुनर्वास, शिक्षा और इलाज के लिए सहयोग देने की बात कर रही हैं। प्रशासन से भी उम्मीद की जा रही है कि बच्चों के लिए विशेष योजना बने, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित हो सके। गांव वालों का कहना है कि ऐसे समय में समाज का साथ ही बच्चों को सहारा देगा।
इस हादसे ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि सड़क पर सावधानी और जिम्मेदारी कितनी जरूरी है। तेज रफ्तार, लापरवाही और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी कितनी बड़ी त्रासदी का कारण बन सकती है। सभी वाहन चालकों से अपील की जा रही है कि वे गति सीमा का पालन करें, नशे में वाहन न चलाएँ और दूसरों की सुरक्षा का ध्यान रखें। साथ ही प्रशासन से भी यह अपेक्षा की जा रही है कि सख्ती से नियम लागू कर ऐसे हादसों को रोका जाए।
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