लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लंबे समय से simmer कर रहा आक्रोश सोमवार को लेह में फूट पड़ा। राज्य का दर्जा और विशेष संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे छात्रों और युवाओं का आंदोलन अचानक हिं’सक हो गया। पुलिस और प्रशासन के लिए हालात संभालना मुश्किल हो गया, वहीं गुस्साई भीड़ ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के स्थानीय कार्यालय में आग के हवाले कर दिया।
सुबह से हजारों छात्र व स्थानीय लोग लेह की सड़कों पर शांतिपूर्ण रैली निकाल रहे थे। उनका कहना था कि केंद्र सरकार ने 2019 में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन के समय वादे किए थे कि लद्दाख की विशिष्ट संस्कृति, पहचान और रोजगार के अवसरों को संरक्षित किया जाएगा। लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद भी न तो विधानसभा की बहाली हुई और न ही राज्य का दर्जा।
रैली धीरे-धीरे मुख्य बाजार और प्रशासनिक दफ्तरों की ओर बढ़ी। इसी दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई। हालात काबू से बाहर जाते देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इससे गुस्साए प्रदर्शनकारी उग्र हो उठे और कई जगह पथराव हुआ।
झड़प के बाद भीड़ ने अचानक भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय कार्यालय पर धावा बोल दिया। देखते ही देखते दफ्तर को आग के हवाले कर दिया गया। आग की लपटें कई मीटर दूर तक दिखाई दे रही थीं। घटना के बाद इलाके में भगदड़ मच गई। दमकल विभाग ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक दफ्तर पूरी तरह जल चुका था।
हिं’सा में कई छात्र और पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए इंटरनेट सेवाओं को आंशिक रूप से निलंबित कर दिया है और संवेदनशील इलाकों में अर्धसैनिक बलों की तैनाती कर दी गई है।
स्थानीय छात्र संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और उग्र किया जाएगा। एक छात्र नेता ने कहा, “हम केवल अपने अधिकार की मांग कर रहे हैं। हमें राज्य का दर्जा चाहिए ताकि हमारी संस्कृति, रोजगार और भूमि सुरक्षित रहे। जब तक यह मांग पूरी नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा।”
वहीं, BJP के स्थानीय नेताओं ने हिं’सा की निंदा की है। उनका कहना है कि शांति और संवाद से ही समस्या का समाधान हो सकता है। उन्होंने आंदोलनकारियों से संयम बरतने की अपील की।
बता दें कि 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। लेकिन तब से यहां के लोग विधानसभा और राजनीतिक प्रतिनिधित्व से वंचित हो गए हैं। यही वजह है कि स्थानीय लोगों और छात्रों का बड़ा वर्ग राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग कर रहा है।
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