
बिहार से शादी करने वाली बहुओं को झारखंड में आरक्षण से वंचित करने का आरोप, बादे आंगनबाड़ी सेविका चयन पर विवाद
गोड्डा : झारखंड सरकार के नए नियम ने ग्रामीण इलाकों में विवाद खड़ा कर दिया है। मामला बसंतराय प्रखंड के ग्राम बादे का है, जहां मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र में सेविका पद के लिए रविवार को आमसभा बुलाई गई थी। इस प्रक्रिया में कुल चार आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से तीन आवेदिकाओं का जाति प्रमाण पत्र बिहार राज्य से जारी था।
चयन प्रक्रिया में आया ट्विस्ट
सूत्रों के अनुसार यह पद बीसी-1 वर्ग के लिए आरक्षित था। लेकिन आमसभा में तीनों महिलाओं के जाति प्रमाण पत्र को यह कहते हुए अमान्य घोषित कर दिया गया कि वह बिहार से जारी है। प्रशासनिक स्तर पर साफ कहा गया कि झारखंड सरकार के नियमों के अनुसार बिहार में विवाह करने वाली बहुओं को झारखंड में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाएगा।
नोटिस में बदलाव पर सवाल
ग्रामीणों का कहना है कि शुरुआत में सेविका चयन के लिए जारी नोटिस केवल बीसी-1 वर्ग के लिए था। लेकिन किसी कारणवश बाद में दूसरा नोटिस जारी किया गया, जिसमें स्पष्ट लिखा गया कि सभी जाति कोटा से आवेदन लिया जाएगा। इसके बावजूद, आमसभा में जाति प्रमाण पत्र के आधार पर अभ्यर्थियों को अयोग्य ठहराया गया।
अभ्यर्थियों का कहना है कि जब सरकार ने सभी कोटे से आवेदन लेने का नोटिस निकाला था, तो फिर जाति प्रमाण पत्र को अमान्य बताकर बाहर करना सरासर अन्याय है। यह साफ-साफ दर्शाता है कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई।
नोटिस की प्रतियां
ग्राम बादे आंगनबाड़ी सेविका चयन को लेकर पहले और बाद में अलग-अलग नोटिस जारी किए गए। पहले नोटिस में स्पष्ट किया गया था कि यह पद केवल बीसी-1 वर्ग के लिए आरक्षित रहेगा। लेकिन बाद में जारी नए नोटिस में यह उल्लेख किया गया कि सभी जाति कोटा से आवेदन स्वीकार किए जाएंगे। ग्रामीणों का आरोप है कि दोनों नोटिस के बावजूद चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं रही।

पुराना नोटिस : केवल BC-1 वर्ग के लिए जारी

नया नोटिस : सभी जाति कोटा से आवेदन स्वीकार
अभ्यर्थियों ने लगाए मिलीभगत के आरोप
बाहर कर दी गई अभ्यर्थियों का आरोप है कि यह पूरा खेल "मिलीभगत" का परिणाम है। उनका कहना है कि वे मूल रूप से झारखंड की निवासी हैं और यहां रह रही हैं, फिर भी सिर्फ इसलिए कि उनका विवाह बिहार में हुआ, उन्हें आरक्षण से वंचित किया जा रहा है।
ग्रामीणों की नाराज़गी
स्थानीय ग्रामीणों ने भी चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए। ग्रामीणों का कहना है कि नियमों का हवाला देकर योग्य अभ्यर्थियों को बाहर करना न्यायसंगत नहीं है।
दोहरी मार झेल रही हैं बहुएं
गांव की महिलाओं का कहना है कि शादी के बाद महिला जिस राज्य में निवास करती है, उसे वहीं की नीतियों और अधिकारों का लाभ मिलना चाहिए।
सरकार से स्पष्ट जवाब की मांग
ग्रामीणों और अभ्यर्थियों ने सरकार से सवाल उठाया है कि आखिर क्यों बिहार से विवाह करने वाली बहुओं को झारखंड में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाएगा।
सब की मिली भगत से हुआ है बहाली
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