

गोपीचक एसबीआई का एटीएम कई वर्षों से खराब, उपभोक्ता परेशान — बैंक की लापरवाही पर ग्रामीणों में आक्रोश
गोपीचक स्थित भारतीय स्टेट बैंक (SBI) का एटीएम कई वर्षों से खराब पड़ा होने के कारण स्थानीय ग्रामीणों को लगातार कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बैंक प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन की बेरुख़ी ने क्षेत्र के लोगों में गहरा असंतोष पैदा कर दिया है।
ग्रामीणों ने बताया कि बैंक के पुराने भवन से नए भवन में स्थानांतरण के बाद भी, एटीएम मशीन चालू नहीं की गई है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता और पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि बैंक मैनेजर द्वारा बार-बार दिए गए आश्वासन झूठे साबित हुए हैं। कई नागरिकों ने यह भी आरोप लगाया है कि क्षेत्र के कुछ सीएसपी संचालक निकासी के नाम पर अतिरिक्त शुल्क लेते हैं, जिससे लोगों में यह शंका पैदा हुई है कि कहीं यह चालू न होने की समस्या जान बूझकर तो नहीं बनी हुई।
कलीम धपरा, आलमगीर आलम, आदिल फारुकी, जावेद, वरुण यादव, लोकनाथ गुप्ता और बजरंगी पासवान समेत सैकड़ों ग्रामीणों ने बताया कि छोटे–छोटे लेनदेन के लिए भी उन्हें दूर से बैंक शाखा या बाजार की यात्रा करनी पड़ती है। वे बताते हैं कि कई बार सीएसपी (Customer Service Point) पर भी कैश उपलब्ध नहीं रहता या नेटवर्क की वजह से लेन-देन रुक जाता है।
बैंक प्रबंधन का कहना है कि एटीएम में मशीन के कुछ हिस्सों की कमी और तकनीकी खराबी है, जिस कारण मशीन चालू नहीं की जा सकी। हालांकि स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि मामला तकनीकी होता तो उसे शीघ्र हल कर दिया जाता, न कि वर्षों तक पृष्ठभूमि में छोड़ दिया जाता।
"जब शहरों में एटीएम एक-दिन में ठीक हो जाते हैं, तो हमारा क्षेत्र क्यों वर्षों से यह समस्या सहता रहे? यह हमारे बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन है।"
गोपीचक और आसपास के कई गांवों के लोग नकदी निकासी के लिए लंबी दूरी तय कर रहे हैं। इससे समय और पैसे दोनों की बर्बादी हो रही है। कई छोटे व्यापारी और दैनिक मजदूर नकदी की कमी के कारण अपने काम में व्यवधान महसूस कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने मांग की है कि या तो एटीएम को तुरंत दुरुस्त किया जाए या उसे किसी ऐसे स्थान पर लगाया जाए जहाँ उसकी वास्तविक जरूरत हो। साथ ही उन्होंने बैंक प्रबंधन और जिला प्रशासन से मामले की पारदर्शी जांच की माँग की है।
समाप्ति में, यह स्पष्ट है कि बैंकिंग सुविधाओं की सुलभता सिर्फ शहरों का मामला नहीं है; ग्रामीण इलाकों में भी नागरिकों को बुनियादी सुविधाएँ समय पर मिलने चाहिए।
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