झारखंड में चार नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना को केंद्र सरकार की मंजूरी, स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा शिक्षा को मिलेगी नई उड़ान
रांची। झारखंड के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन साबित हुआ है। लंबे इंतजार के बाद केंद्र सरकार ने राज्य को एक बड़ी सौगात दी है। झारखंड सरकार के प्रस्ताव को स्वीकृति देते हुए भारत सरकार ने राज्य के चार जिलों — जामताड़ा, धनबाद, गिरिडीह और खूंटी — में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की मंजूरी दे दी है। ये सभी कॉलेज पीपीपी (Public Private Partnership) यानी सार्वजनिक-निजी सहभागिता मोड पर बनाए जाएंगे।
यह स्वीकृति भारत सरकार की “पीपीपी मोड में मेडिकल कॉलेज स्थापना योजना” के तहत दी गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य देशभर में चिकित्सा शिक्षा का विस्तार करना और स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाना है। इन कॉलेजों की स्थापना से न केवल ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ होंगी बल्कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता में भी बड़ा सुधार देखने को मिलेगा।
नई दिल्ली में मंगलवार को वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के वित्तीय मामलों के विभाग (Department of Economic Affairs - DEA) की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें झारखंड सरकार की ओर से स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने राज्य का विस्तृत प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति के बाद डीईए ने झारखंड के चार जिलों में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की औपचारिक स्वीकृति प्रदान की।
खूंटी में 50 सीट का कॉलेज, जामताड़ा, धनबाद और गिरिडीह में 100-100 सीटों का मेडिकल कॉलेज
केंद्र सरकार की स्वीकृति के बाद अब खूंटी जिले में 50 एमबीबीएस सीटों वाला मेडिकल कॉलेज, जबकि जामताड़ा, धनबाद और गिरिडीह जिलों में 100-100 एमबीबीएस सीटों वाले कॉलेज की स्थापना की जाएगी। इससे राज्य के चिकित्सा शिक्षा ढांचे में बड़ी वृद्धि होगी।
अजय कुमार सिंह ने बताया कि इन कॉलेजों के खुलने से राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा। ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में अब लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं मिल सकेंगी। उन्होंने कहा —
“नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना से विशेषज्ञ उपचार की व्यवस्था सर्वसुलभ होगी। चिकित्सा शिक्षा की पहुंच बढ़ेगी और राज्य के स्वास्थ्य अवसंरचना को नई मजबूती मिलेगी। यह झारखंड की दीर्घकालिक स्वास्थ्य नीति का ऐतिहासिक कदम है।”
केंद्र और राज्य सरकार मिलकर करेंगे कॉलेजों का विकास
मेडिकल कॉलेजों की स्थापना केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से की जाएगी। परियोजनाओं का संचालन वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) द्वारा वायबिलिटी गैप फंडिंग (Viability Gap Funding - VGF) की उपयोजना एक और दो के तहत किया जाएगा।
धनबाद मेडिकल कॉलेज परियोजना को वीजीएफ उपयोजना एक के अंतर्गत कार्यान्वित किया जाएगा। खूंटी, जामताड़ा और गिरिडीह मेडिकल कॉलेज परियोजनाएं वीजीएफ उपयोजना दो के तहत चलाई जाएंगी।
उपयोजना दो के तहत भारत सरकार 40% पूंजीगत व्यय सहायता और 25% परिचालन व्यय सहायता देगी। वहीं, झारखंड सरकार अपनी ओर से 25% से 40% तक पूंजीगत व्यय और 15% से 25% तक परिचालन व्यय का योगदान देगी। उपयोजना एक के तहत भारत सरकार और राज्य सरकार, दोनों 30% पूंजीगत व्यय सहायता के अनुपात में योगदान करेंगे।
रोजगार और विकास के नए अवसर
इन चार मेडिकल कॉलेजों की स्थापना से झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं के साथ रोजगार के क्षेत्र में भी नए अवसर सृजित होंगे। स्थानीय युवाओं को चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने के लिए अब राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। साथ ही, कॉलेजों में शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर बड़ी संख्या में नौकरियां भी उत्पन्न होंगी।
“यह झारखंड के लिए एक स्वर्णिम अवसर है। पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेजों के खुलने से न केवल चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा, बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। यह राज्य के सर्वांगीण विकास की दिशा में बड़ा कदम है।”
— अजय कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य)
झारखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं को नई दिशा
झारखंड के दूरस्थ और पिछड़े क्षेत्रों में लंबे समय से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी महसूस की जा रही थी। कई बार मरीजों को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए राज्य से बाहर जाना पड़ता था। अब इन चार मेडिकल कॉलेजों के निर्माण से राज्य के विभिन्न हिस्सों में अस्पतालों, नर्सिंग स्कूलों और प्रशिक्षण केंद्रों का भी विकास होगा, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं का दायरा और अधिक व्यापक हो जाएगा।
राज्य सरकार का कहना है कि इन कॉलेजों के संचालन के बाद राज्य में डॉक्टरों की कमी को काफी हद तक दूर किया जा सकेगा। वर्तमान में झारखंड में डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात राष्ट्रीय मानक से काफी नीचे है, लेकिन नए कॉलेजों के शुरू होने के बाद यह स्थिति बदल जाएगी।
झारखंड के लिए ऐतिहासिक फैसला
कुल मिलाकर, केंद्र सरकार द्वारा दी गई यह मंजूरी झारखंड के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगी। इससे न केवल स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर बढ़ेगा बल्कि राज्य में चिकित्सा शिक्षा के नए अध्याय की शुरुआत भी होगी।
इस निर्णय से झारखंड के लाखों लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उम्मीद जगी है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां अब तक चिकित्सा संसाधनों की भारी कमी थी, वहां विशेषज्ञ डॉक्टरों, प्रशिक्षित नर्सों और आधुनिक अस्पतालों की व्यवस्था संभव हो सकेगी। यह फैसला झारखंड को “स्वस्थ राज्य” की दिशा में आगे बढ़ाने वाला साबित होगा।
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