गोड्डा के बसंतराय प्रखंड क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्थाओं में सुधार का नाम नहीं लिया जा रहा है। स्थानीय ग्रामीणों और समाजसेवियों का आरोप है कि कई शिक्षक समय पर स्कूल नहीं पहुंचते, कई बार अनुपस्थित पाये जाते हैं और कुछ शिक्षक मात्र हाजिरी बनाकर भी घर लौट आते हैं — परिणामस्वरूप बच्चों की पढ़ाई और भविष्य गंभीर संकट में है।
ग्रामीणों के मुताबिक़ बसंतराय के कई स्कूलों में शिक्षक हाजिरी बनाकर इलाके में भ्रमण करते हैं या अपने निजी कामों में समय खर्च करते हैं। कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें शिक्षक अपनी पत्नी/परिवार के साथ समय बिताने के लिए स्कूल के घंटों के दौरान अनुपस्थित रहते हैं या स्कूल सिर्फ रजिस्टर पर उपस्थित दिखाकर लौट आते हैं। इससे कक्षाओं का संचालन ठप्प पड़ जाता है और जो पढ़ाई होनी चाहिए वह सीधे प्रभावित होती है।
स्थानीय समाजसेवी तथा भाजपा नेता बॉबी आलम, नसीम भैसानी, पंचायत समिति सदस्य इंतजार आजाद और अरविंद पासवान समेत कई ग्रामीणों ने मिलकर बताया कि कई प्राइमरी और माध्यमिक स्तर के विद्यालयों में सूचीबद्ध शिक्षक वास्तविक समय पर कक्षाओं का संचालन नहीं करते। कुछ मामलों में स्कूलों की ज़िम्मेदारी रसोइया और संयोजक पर छोड़ दी गई है — जिसका सीधा असर शिक्षण गुणवत्ता पर पड़ता है।
मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) की गुणवत्ता पर भी गम्भीर आरोप हैं। ग्रामीणों के ब्यान के अनुसार कई स्कूलों और मदरसों में दाल की जगह केवल सब्जी-चावल पर बच्चों का मध्यान भोजन चल रहा है। एक बच्चे ने बताया कि उन्हें याद नहीं कि स्कूल में उन्होंने आख़िरी बार कब दाल खायी थी। पोषण और औपचारिक मिड-डे मील की गुणवत्ता से जुड़े ये आरोप बच्चों के स्वास्थ्य और पढ़ाई दोनों के लिये चिंता का विषय हैं।
ग्रामीणों ने जिला शिक्षा पदाधिकारी व संबंधित अधिकारियों से औचक निरीक्षण और कड़े कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो बच्चों का भविष्य दांव पर लग सकता है। शिक्षकों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करने, पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारने और मिड-डे मील की गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये जिला प्रशासन को ठोस रणनीति अपनानी होगी।
विगत कुछ महीनों में स्थानीय स्तर पर कई बार शिकायतें दर्ज कराई गई हैं, परन्तु ग्रामीणों का आरोप है कि समस्या जड़ से नहीं हट रही। ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग, बीईओ (ब्लॉक शिक्षा अधिकारी) और जिला प्रशासन से अनुरोध किया है कि वे विद्यालयों में नियमित और पारदर्शी निरीक्षण करायें, शिक्षकों की उपस्थिति पर सख्त नियंत्रण लायें, और दोषी पाए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करें ताकि बच्चों को उनकी मूलभूत शैक्षिक अधिकार मिल सकें।
इस मुद्दे पर जब हमने स्थानीय शिक्षा पदाधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि वे शीघ्र निरीक्षण कराकर रिपोर्ट तैयार करेंगे। हालांकि ग्रामीणों और समाजसेवियों का मानना है कि केवल आश्वासन पर्याप्त नहीं — उन्हें तत्काल ठोस कार्रवाई चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों में बायोमेट्रिक उपस्थिति, अभिभावक-शिक्षक बैठकें और समुदाय आधारित निगरानी से समस्या में कमी लाई जा सकती है।
ग्रामीण प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने समय पर ठोस कदम नहीं उठाए तो वे सड़क पर उतर कर आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। उनका कहना है कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषी शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
अंत में, यह स्पष्ट है कि बसंतराय प्रखंड के सरकारी विद्यालयों में सिर्फ़ संरचना या संसाधनों की कमी नहीं, बल्कि मानव-तत्व (विशेषकर शिक्षक की जवाबदेही) की कमी भी मुख्य कारण बन चुकी है। जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रतिनिधियों के संयुक्त प्रयास से ही बच्चों की पढ़ाई और भविष्य को सुरक्षित बनाया जा सकता है।
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