गोड्डा: ग्रामीण केयर फाउंडेशन ने कोरियाना में 50 गरीब-असहाय लोगों को कंबल वितरित कर दिखाई मानवता
दिसंबर के अंतिम सप्ताह की कड़ाके की ठंड ने गोड्डा जिले के बसंतराय प्रखंड के कोरियाना गांव में रहने वाले गरीब और असहाय परिवारों की दिनचर्या और जीवन-स्तर दोनों को सीधे प्रभावित किया है; खुली झोपड़ियाँ, कमजोर दीवारें और खुले दरवाज़े उन शीतलताओं के कड़वे अनुभव को और गहरा करते हैं जिनका सामना वे हर रात कर रहे हैं, और ऐसे में सरकारी राहत सामग्री की अनावश्यक देरी ने उनकी मुश्किलों को और तगड़ा कर दिया है — इन परिस्थितियों को देखते हुए ग्रामीण केयर फाउंडेशन ने तुरंत कदम उठाया और स्थानीय सर्वे तथा सूची के आधार पर आज सुबह 50 सबसे अधिक प्रभावित परिवारों के बीच गर्म कंबल वितरित किए, जिससे उन लोगों को ठंड के मौसम में तत्काल सुरक्षा और राहत मिली।
कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों ने बताया कि हर साल सरकारी कंबल वितरण की प्रक्रिया इतनी धीमी साबित होती है कि अक्सर कंबल आने तक ठंड का भीषण दौर निकल चुका होता है; कई बुजुर्गों और विधवाओं ने खुलकर कहा कि जनवरी-फरवरी में मिल जाता है तो कंबल का कोई लाभ नहीं होता, और वहीं गैर-सरकारी संस्थाओं की तात्कालिक मदद ही उनके लिए जीवनदायी साबित होती है। फाउंडेशन के ये कदम इसलिए अहम हैं क्योंकि वे सिर्फ राहत सामग्री नहीं बाँट रहे — बल्कि उन लोगों को आत्म-सम्मान और यह भरोसा दे रहे हैं कि मुश्किल समय में भी कोई उनके साथ है।
किस तरह किया गया चयन और वितरण
ग्रामीण केयर फाउंडेशन ने पहले गांव में सर्वे किया और सबसे अधिक प्रभावित लोगों की सूची तैयार की; सूची में बुजुर्ग, विधवा महिलाएँ, दिव्यांग और विश्वसनीय रूप से अत्यधिक गरीब परिवार शामिल थे। सुबह कार्यक्रम स्थल पर स्थानीय प्रतिनिधियों की मौजूदगी में एक-एक कर नाम पढ़े गए और कंबल सौंपे गए। प्रत्येक प्राप्तकर्ता का सम्मानपूर्वक स्वागत किया गया और कुछ परिवारों के घरों तक फाउंडेशन के सदस्यों ने कंबल पहुँचाए जिससे आगे चलकर वहां रहने वालों को भी राहत मिल सके।
- मोहम्मद सद्दाम
- दिवाकर शर्मा
- नैयर हसन
- मोहम्मद मुख्तार
- मोहम्मद सरफराज
- नसीम टेलर
- मोहम्मद सरफराज आलम
- अब्दुल अज़ीज़
- एजाज़
- सद्दाम
फाउंडेशन के सदस्यों ने बताया कि संसाधन सीमित होने के बावजूद उनकी संवेदना और समर्पण बहुत बड़ा है; उन्होंने स्थानीय प्रशासन से भी यह अनुरोध किया कि भविष्य में कंबल वितरण का समय अधिक तात्कालिक और ठंड के चरम पर ध्यान केंद्रित हो ताकि जरूरतमंदों को सही समय पर राहत मिल सके। स्थानीय प्रतिनिधियों ने इस पहल की खुले दिल से सराहना की और कहा कि जब समाज के लोग स्वयं आगे आकर सहायता करते हैं तो बुनियादी जरूरतों को पूरा कर पाना आसान हो जाता है।
कंबल पाकर कई लोगों की आंखें नम हो उठीं; एक वृद्ध महिला ने कहा कि आज उन्होंने महसूस किया कि अभी भी समाज में ऐसे लोग हैं जो मानवता और सेवा के लिए तत्पर हैं, और एक युवा ने कहा कि ऐसे संगठन गांव के युवाओं को भी प्रेरित करते हैं कि वे सामुदायिक कार्य में भाग लें। यह अनुभव केवल आज का नहीं, बल्कि आने वाले दिनों के लिए भी एक संदेश छोड़ गया कि छोटी-छोटी पहल बड़ी राहत बनकर सामने आती हैं।
समाप्ति व आगे की योजना
कार्यक्रम के अंत में फाउंडेशन ने यह स्पष्ट किया कि यह एक बार का प्रयास नहीं, बल्कि एक सतत योजना का हिस्सा है; वे बेहतर संसाधन जुटाने, अधिक संख्या में कंबल उपलब्ध कराने और पड़ोसी गांवों तक यह योजना विस्तारित करने की योजना बना रहे हैं। यदि स्थानीय स्तर पर और दानदाता संस्थाएँ सहयोग करें तो यह परियोजना ज्यादा प्रभावशाली बन सकती है और पूरे प्रखंड में शीत राहत का एक सही नेटवर्क तैयार किया जा सकता है।
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