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Friday, September 26, 2025

कब्रिस्तान चारदीवारी निर्माण में अनियमितता – बसंतराय न्यूज़

खबर – कब्रिस्तान चारदीवारी निर्माण में अनियमितता
खबर

कब्रिस्तान चारदीवारी निर्माण में अनियमितता

ग्रामीणों का आरोप, घटिया सामग्री का हो रहा उपयोग

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बसंतराय (संवाददाता):
बसंतराय प्रखंड के केवां पंचायत अंतर्गत अंमात परसिया गाँव में कब्रिस्तान चारदीवारी निर्माण कार्य को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण कार्य में भारी अनियमितता की जा रही है। आरोप है कि ठेकेदार और कुछ प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत से घटिया ईंट, कमजोर सीमेंट और निम्न स्तर की अन्य सामग्रियों का प्रयोग हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि जिस तरह से निर्माण कार्य किया जा रहा है, उससे चारदीवारी लंबे समय तक टिकेगी नहीं। कुछ ही महीनों में दीवारें दरकने लगेंगी। लोगों का कहना है कि सरकारी योजना का लाभ उठाकर निजी स्वार्थ के लिए काम को घटिया ढंग से अंजाम दिया जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत स्तर पर बनी लाभुक समिति का चयन भी पारदर्शी तरीके से नहीं हुआ। गाँव के कई लोगों को बिना जानकारी दिए ही समिति का गठन कर लिया गया। इससे ग्रामीणों में और ज्यादा असंतोष है। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि जब योजना का शिलान्यास स्थानीय विधायक के द्वारा किया गया था, तब उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि निर्माण कार्य पूरी गुणवत्ता और पारदर्शिता से होगा। लेकिन हकीकत बिल्कुल उलट है।

निर्माण स्थल की तस्वीर

आक्रोशित ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से उपायुक्त को ज्ञापन सौंपकर पूरे मामले की जाँच की माँग की है। ज्ञापन में कहा गया है कि यदि तत्काल निर्माण स्थल की जाँच नहीं की गई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो ग्रामीण आंदोलन करने को मजबूर होंगे। ग्रामीणों ने साफ कहा कि कब्रिस्तान की चारदीवारी धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे में घटिया काम किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है।

ग्रामीण ज्ञापन सौंपते हुए

ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण स्थल पर तकनीकी विभाग का कोई अभियंता मौजूद ही नहीं रहता। निगरानी के अभाव में ठेकेदार मनमानी कर रहे हैं। घटिया ईंट और सीमेंट का खुलेआम इस्तेमाल हो रहा है।

गाँव के लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि निर्माण कार्य की प्रगति और गुणवत्ता की जानकारी लाभुक समिति के अधिकांश सदस्यों को भी नहीं है।

ग्रामीणों की मांग है कि चारदीवारी निर्माण कार्य की स्वतंत्र तकनीकी जाँच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो। साथ ही निर्माण को रोककर इसे नियमों के अनुसार दोबारा कराया जाए।

लोगों का कहना है कि यदि जिला प्रशासन समय रहते कदम नहीं उठाता तो यह मामला बड़ा आंदोलन का रूप ले सकता है।

उपायुक्त कार्यालय से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीणों की शिकायत संज्ञान में ली गई है और जल्द ही तकनीकी टीम को स्थल निरीक्षण के लिए भेजा जाएगा। प्रशासन का कहना है कि यदि निर्माण कार्य में किसी भी तरह की अनियमितता पाई जाती है तो ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और गुणवत्ता सर्वोपरि है। यदि ग्रामीणों के आरोप सही पाए जाते हैं तो दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।

इस मामले पर स्थानीय राजनीतिक दलों ने भी सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह मामला केवल एक गाँव का नहीं है, बल्कि पूरे क्षेत्र में विकास योजनाओं के नाम पर लूट मची हुई है। उनका आरोप है कि भ्रष्टाचार और लापरवाही की वजह से सरकारी योजनाएँ आम जनता तक सही रूप में नहीं पहुँच पा रही हैं।

वहीं सत्तारूढ़ दल से जुड़े नेताओं ने कहा कि सरकार किसी भी हाल में घटिया कार्य सहन नहीं करेगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी और निर्माण कार्य को पूरी गुणवत्ता के साथ ही पूरा कराया जाएगा।

गाँव के युवाओं ने चेतावनी दी है कि यदि अगले 15 दिनों में जाँच शुरू नहीं हुई तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि कब्रिस्तान की चारदीवारी का मामला उनकी आस्था और सुरक्षा दोनों से जुड़ा हुआ है।

कई महिलाओं ने भी खुलकर कहा कि धार्मिक स्थल से जुड़ा कार्य घटिया ढंग से होना सीधा अपमान है। उन्होंने माँग की कि सरकार खुद इस काम की निगरानी करे और दोषियों को सज़ा दे।

गाँव में इन दिनों माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। लोग छोटे-छोटे समूहों में इकट्ठा होकर प्रशासन और पंचायत के खिलाफ चर्चा कर रहे हैं। आरोप है कि गाँव के कुछ प्रभावशाली लोग ठेकेदार के साथ मिले हुए हैं, जिसकी वजह से घटिया सामग्री का उपयोग खुलेआम हो रहा है।

ग्रामीणों का कहना है कि यह सिर्फ कब्रिस्तान की चारदीवारी का मामला नहीं है, बल्कि यह न्याय और पारदर्शिता की भी लड़ाई है।

कब्रिस्तान चारदीवारी निर्माण विवाद अब केवल ग्रामीणों की शिकायत तक सीमित नहीं रहा। यह मामला प्रशासनिक कार्रवाई, राजनीतिक दखल और संभावित जनआंदोलन का रूप ले चुका है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि जिला प्रशासन इस मामले को किस तरह से सुलझाता है और क्या वाकई दोषियों को सज़ा मिल पाती है।

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