कोरियाना चेकनाका पर व्यवस्था ठप, बारिश में खुले आसमान तले डटे रहे अधिकारी व जवान
बसंतराय — सीमा सुरक्षा और चुनावी तैयारियों के बीच प्रशासनिक लचरता का बड़ा सबूत
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था तो कड़ी कर दी गई है, लेकिन बसंतराय थाना क्षेत्र के कोरियाना चेकनाका पर प्रशासनिक इंतज़ाम खुद सवालों के घेरे में हैं। दो दिनों से लगातार हो रही झमाझम बारिश ने यहां तैनात मजिस्ट्रेट और पुलिस बल की मुश्किलें कई गुना बढ़ा दी हैं। जहां एक ओर सीमावर्ती इलाकों में वाहनों की सघन जांच और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने का दावा किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कह रही है।
खुले आसमान तले ड्यूटी पर तैनात अधिकारी और जवान इस कदर परेशान हैं कि उनके पास न बारिश से बचने का कोई ठिकाना है, न ही बुनियादी सुविधाओं का कोई इंतज़ाम। प्रशासन की ओर से लगाया गया छोटा-सा टेंट भी बारिश और तेज हवा के सामने बेअसर साबित हो रहा है। हालात ऐसे हैं कि जवानों को भींगे कपड़ों में ही घंटों तक ड्यूटी करनी पड़ रही है।
स्थानीय ग्रामीणों ने भी प्रशासन की इस लापरवाही पर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि चुनावी सुरक्षा के नाम पर सख्त निगरानी तो की जा रही है, लेकिन जवानों और अधिकारियों के लिए न्यूनतम सुविधा भी मुहैया नहीं कराई गई है। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि अगर लगातार बारिश के बीच कोई दुर्घटना या स्वास्थ्य संबंधी समस्या उत्पन्न हो जाए, तो मौके पर न कोई मेडिकल सुविधा है और न ही कोई आश्रय का ठिकाना।
मौसम विभाग की ओर से पहले ही झारखण्ड के कुछ जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की जा चुकी थी। बावजूद इसके प्रशासन ने कोरियाना चेकनाका जैसे सीमावर्ती महत्वपूर्ण जांच बिंदु पर कोई ठोस व्यवस्था नहीं की। तेज हवा और मूसलाधार बारिश के बीच जवान और अधिकारी दोनों ही खुले आसमान के नीचे डटे हुए हैं। यह न केवल उनकी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का भी जीता-जागता उदाहरण है।
बताते चलें कि कोरियाना चेकनाका सीमावर्ती इलाका होने के कारण यहां चुनाव के दौरान सुरक्षा जांच अत्यंत आवश्यक है। हर गुजरने वाले वाहन की जांच की जा रही है ताकि किसी प्रकार की अवैध गतिविधि को रोका जा सके। लेकिन इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को निभाने वाले जवान और मजिस्ट्रेट खुद बदहाल स्थिति में हैं।
ठंडी हवाओं और लगातार बारिश के कारण तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है, जिससे जवानों को ड्यूटी के दौरान शारीरिक कष्ट भी झेलना पड़ रहा है। न गर्म चाय का इंतजाम है, न आराम की कुर्सी या टेबल — बस भीगते हुए ड्यूटी निभाने को मजबूर हैं। ऐसे हालात में उनसे बेहतर और सतर्क ड्यूटी की उम्मीद करना भी कहीं न कहीं अमानवीय प्रतीत होता है।
कोरियाना चेकनाका की यह स्थिति न केवल प्रशासनिक तंत्र की सच्चाई उजागर कर रही है, बल्कि यह भी दिखा रही है कि कभी-कभी जिम्मेदारी निभाने वाले ही सबसे ज्यादा उपेक्षित रह जाते हैं। बारिश में भीगते जवानों की यह तस्वीर चुनावी तैयारियों की हकीकत बयान कर रही है — जहां जनता की सुरक्षा का जिम्मा उठाने वाले खुद असुरक्षित और असुविधाजनक स्थिति में हैं।
No comments:
Post a Comment