मंथा चक्रवात से बसंतराय क्षेत्र का जनजीवन प्रभावित
बंगाल की खाड़ी से विकसित मंथा चक्रवात का असर गोड्डा जिले के बसंतराय प्रखंड एवं आसपास के क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। बुधवार की सुबह से ही आसमान में घने बादल छाए रहे और बीच-बीच में तेज बारिश होती रही। ग्रामीण इलाकों में बिजली आपूर्ति भी प्रभावित हुई, जिससे लोगों के दैनिक कार्यों पर असर पड़ा।
किसानों के लिए यह समय बेहद संवेदनशील है क्योंकि धान की कटाई का कार्य शुरू हो चुका है। खेतों में काटे गए धान के ढेरों पर लगातार बारिश से फसल सड़ने और खराब होने का खतरा बढ़ गया है। कई किसानों ने बताया कि उन्होंने मेहनत से तैयार की गई फसल अब बारिश के कारण बर्बाद होने के डर से तिरपाल और प्लास्टिक से ढंक दी है।
जिला प्रशासन ने चक्रवात के प्रभाव को देखते हुए सतर्कता और सुरक्षा बरतने का निर्देश जारी किया है। अधिकारियों ने ग्रामीणों को घरों में सुरक्षित रहने और नदी-नालों के किनारे न जाने की सलाह दी है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले दो दिनों तक बारिश और तेज हवा का दौर जारी रह सकता है।
बेमौसम बारिश से न केवल किसान बल्कि मजदूर और छोटे व्यवसायी भी प्रभावित हुए हैं। बसंतराय, पोड़ैयाहाट और महागामा बाजारों में ग्राहकों की आवाजाही घट गई है, जिससे व्यापारिक गतिविधियां धीमी पड़ गई हैं। परिवहन सेवाओं में भी बाधा आई है और कई छोटे वाहन चालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
क्षेत्र के कई इलाकों में सड़कें कीचड़युक्त हो गई हैं और कुछ जगहों पर जलजमाव की स्थिति बन गई है। ग्रामीणों ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि निचले इलाकों से पानी की निकासी के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। वहीं किसान संगठनों ने राज्य सरकार से विशेष राहत पैकेज देने की मांग की है ताकि बर्बाद फसलों की भरपाई हो सके।
गौरतलब है कि इस वर्ष मानसून के दौरान पहले से ही औसत से अधिक वर्षा दर्ज की जा चुकी है, जिसके कारण खेतों में नमी अधिक है। ऐसे में मंथा चक्रवात की अतिरिक्त वर्षा ने कृषि कार्यों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल दिया है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक पूर्वी बिहार और झारखंड के दक्षिणी हिस्सों में तेज हवा और बारिश की संभावना बनी रहेगी।
फिलहाल बसंतराय और आसपास के गांवों में जनजीवन अस्त-व्यस्त है। लोग घरों में कैद हैं, खेत सूने पड़े हैं और बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है।
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