डॉ. जहीर अहमद का निधन: बसंतराय की धड़कन बंद, अंतिम यात्रा में हज़ारों शोकाकुल
बसंतराय के पूर्व प्रखंड अध्यक्ष और समाजसेवी डॉ. जहीरुद्दीन (जहीर अहमद) के निधन की खबर से आज पूरा प्रखंड शोक में डूब गया। अंतिम दर्शन के लिए भारी संख्या में लोग जुटे हुए हैं और कुछ ही देर में उन्हें सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।
बसंतराय की धड़कन बंद, हज़ारों शोकाकुल
डॉ. जहीर अहमद केवल एक राजनीतिक चेहरे नहीं थे; वह समाज के हर तबके में चिर-परिचित और सम्मानित थे। उनके व्यक्तित्व की खासियत उनकी सादगी और लोगों से जुड़ने की सरलता थी।
लंबे समय तक प्रखंड अध्यक्ष रहे डॉ. जहीर ने राजनीति को पद का साधन नहीं बल्कि सेवा का माध्यम माना। उनका शांत, मृदुभाषी और संतुलित स्वभाव उन्हें क्षेत्र में अलग पहचान देता था।
डॉ. जहीर अहमद का जीवन और योगदान
डॉ. जहीर कई वर्षों तक बसंतराय ईदगाह के सेक्रेटरी रहे। इस भूमिका में उन्होंने समुदाय के हर वर्ग की सेवा को सर्वोपरि रखा। साथ ही, उनका खेल प्रेम — विशेषकर फुटबॉल कमेंट्री में उनका परिचय — उन्हें युवा और बुजुर्गों दोनों के बीच प्रिय बनाता था।
उनकी धर्मपत्नी एक बार पंचायत समिति की सदस्य रह चुकी हैं। उनके दो पुत्र और दो पुत्रियाँ आज विभिन्न कार्यक्षेत्रों में सम्मानित स्थान रखते हैं। डॉ. जहीर ने शिक्षा, संस्कार और सेवा के मूल्य अपनी अगली पीढ़ी को दिए।
अंतिम यात्रा का कार्यक्रम
एक विरासत का अंत
डॉ. जहीर का निधन बसंतराय के लिए एक बड़ा आघात है। उनके जाने का अर्थ केवल वियोग नहीं, बल्कि एक विरासत का निर्माण भी है। उनकी सेवाभावना और सादगी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।
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